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अमरुद की खेती

द्वारा, दिनांक 21-08-2019 08:40 PM को 356

अमरुद की खेती

भूमि एवं जलवायु : अमरूद के लिए समशीतोष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है इसकी खेती गर्म तथा शुष्क व्  ठंडी हवा चलने वाले तथा कम या ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रो  में भी अच्छी तरह से की जा सकती है। अमरूद की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है फिर भी उपजाऊ बलुई दोमट भूमि उत्तम रहती हैI

उन्नत किस्मे : अमरूद की बहुत सी किस्मे प्रचलित है जैसे की इलाहाबादी सफ़ेदा, सरदार (लखनऊ -49), सेबनुमा अमरूद (एप्पल कलर ग्वावा ), इलाहाबादी सुरखा, बेहट कोकोनट एवं ललित हैI  इलाहाबादी सफ़ेदा एवं सरदार अपने स्वाद एवं फल के लिए विशेष तौर से विख्यात हैI

रोपण की तैयारी : इसके पौधे की रोपाई हेतु पहले 60x60x60 सेमी० गहराई के गड्ढे तैयार करके 20-25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद 250 ग्राम सुपर फास्फेट तथा 40-50 ग्राम फालीडाल डस्ट ऊपरी  मिटटी में मिलाकर गड्ढो को भर कर सिचाई कर देते है इसके पश्चात पौधे की पिंडी के अनुसार गड्ढ़े को खोदकर उसके बीचो बीच लगाकर चारो तरफ से अच्छी तरह दबाकर फिर हल्की सिचाई कर देते है I

रोपण का समय : पौध रोपण के लिए जुलाई, अगस्त तथा सितम्बर माह को उपयुक्त मानते है जहा पर सिचाई की समस्या नहीं होती है वहाँ पर फरवरी मार्च में भी रोपण किया जा सकता है अमरूद के पौधो का  लाईन से लाईन 5 मीटर तथा पौधे से पौधे 5 मीटर अथवा लाईन से लाईन 6 मीटर और पौधे से पौधे 6 मीटर की दूरी पर रोपण किया जा सकता हैI

खाद और उर्वरक : पौधा लगाने से पहले गड्ढा तैयार करते समय प्रति गड्ढा 20 से 25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद डालकर तैयार गड्ढे में पौध लगाते है इसके पश्चात प्रति वर्ष 5 वर्ष तक इस प्रकार की खाद दी जाती है जैसे की एक वर्ष की आयु के पौधे पर 15 किलोग्राम गोबर की खाद, 250 ग्राम यूरिया, 375 ग्राम सुपर फास्फेट तथा 100 ग्राम पोटेशियम सल्फेट इसी प्रकार दो वर्ष के पौधे के लिए 30 किलोग्राम गोबर की खाद, 500 ग्राम यूरिया, 750 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 200 ग्राम पोटेशियम सल्फेटI तीन साल के पौधे के लिए 45 किलोग्राम गोबर की खाद, 750 ग्राम यूरिया, 1125 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 300 ग्राम पोटेशियम सल्फेट। चार साल के पौधे के लिए 60 किलोग्राम गोबर की खाद, 1000 ग्राम यूरिया, 1500 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 400 ग्राम पोटेशियम सल्फेट इसी तरह से  पांच साल के पौधे के लिए 75 किलोग्राम गोबर की खाद, 1250 ग्राम यूरिया, 1875 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 500 ग्राम पोटेशियम सल्फेट की आवश्यकता पड़ती हैI खाद की मात्रा पेड़ की आयु के अनुसार दो भागों में बांटकर एक भाग प्रति पेड़ जून में दूसरा भाग अक्टूबर में तने से एक मीटर की दूरी पर चारो ऒर वृक्षों के छत्र के नीचे किनारों तक डालना चाहिए इसके पश्चात तुरंत सिचाई कर देनी चाहिएI

बाग़ प्रबंध : अमरूद में एक साल में दो फसल प्राप्त होती है एक फसल बरसात दूसरी सर्दी के मौसम में प्राप्त होती है।  बरसात की फसल की गुणवता अच्छी नहीं होती है अतः व्यवसायिक दृष्टि से केवल सर्दी वाली फसल लेना चाहिए।

सिचाई : अच्छे उत्पादन के लिए सिंचाई प्रबंधन आवश्यक है। छोटे पौधे की सिचाई सर्दी में 15 दिन के अन्तराल पर तथा गर्मियों में 7 दिन के अन्तराल पर करनी चाहिए लेकिन बड़े होने पर आवश्यकतानुसार सिचाई करनी चाहिएI

कटाई छाटाई : अमरुद के उत्पादन में प्रारम्भ में सधाई पेड़ो का मजबूत ढाचा बनाने के लिए की जाती है शुरू में मुख्य तना पर जमीन से 90 सेंटीमीटर की उचाई तक कोई शाखा नहीं निकलने देना चाहिए इसके पश्चात तीन या चार शाखाये बढ़ने दी जाती है इसके पश्चात प्रति दूसरे या तीसरे साल ऊपर से टहनियों को काटते रहना चाहिए जिससे की पेड़ो की उचाई अधिक न हो सके यदि जड़ से कोइ फुटाव निकले तो उसे भी काट देना चाहिएI

रोग नियंत्रण : अमरूद में उकठा रोग (विल्ट) तथा श्याम वर्ण (एन्थ्रेक्नोज),फल गलन लगते है नियंत्रण के लिए आवश्यकता अनुसार उपाय करने चाहिए।

कीट नियंत्रण : अमरूद की फल मख्खियां तथा छाल खाने वाली सुडी लगती है फल मख्खी नियंत्रण हेतु सम्भव हो तो बरसात की फसल न ले तथा 500 मिलीलीटर मेलाथियान 50 ई. सी. के साथ 5 किलो ग्राम गुड या चीनी को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिडकाव करे यह 7 से 10 दिन के अन्तराल पर पर दुबारा करें। छाल भक्षक इल्ली के लिए सितम्बर-अक्टूबर में 10 मिली लीटर मेटासिड (मिथाइल पैराथियान ) को 10 लीटर पानी में मिलाकर तना की छाल के सूराखो के चारो ओर छाल पर लगाना चाहिए।

फलन और तुड़ाई : अमरूद के फलो की तुडाई कैची की सहायता से थोड़ी सी डंठल एवं एक दो पते सहित काटकर करनी चाहिए खाने में आधिकतर अधपके फल पसंद किये जाते है तुडाई दो दिन के अन्तराल पर करनी चाहिएI

उपज : पौधे लगाने के दो वर्ष बाद फल मिलना प्रारम्भ हो जाते है पेड़ो की देख-रेख अच्छी तरह से की जाय तो पेड़ 30 से 40 वर्ष तक उत्पादन देते है। 5 वर्ष की आयु के एक पेड़ से लगभग 300 से 600 तक अच्छे फल प्राप्त होते है जो बाग़ के प्रबंधन पर निर्भर करता है।

 

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