मूली की उन्नत खेती
मूली सर्दी ऋतु की फसल है लेaकिन कुछ किस्में गर्मी में भी उगाई जा सकती हैं। उचित समय पर उचित किस्मों का चयन करके मूली की खेती वर्ष भर की जा सकती है।
जलवायु एवं भूमि: मूली के स्वाद, बनावट और आकार को अच्छा बनाने के लिए 10 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान अनुकूल रहता है। मूली प्रायः सभी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है लेकिन हल्की और भुरभुरी मिट्टी इसके लिए अच्छी रहती है।
उन्नत किस्में: पूसा चेतकी, पूसा रश्मि, जापानीज व्हाइट, पूसा हिमानी, फैंच ब्रेकफास्ट (गृह वाटिका हेतु), हिल क्वीन, रेपिड रेड व्हाइट।
किस्म बुवाई का उपयूक्त समय : पूसा चेतकी मार्च से अगस्त, पूसा रश्मि सितम्बर से नवम्बर, जापानीज व्हाइट/हिल क्वीन अक्टूबर से मध्य दिसम्बर, पूसा हिमानी मध्य दिसम्बर से जनवरी तक
बुवाई : बुवाई के लिए प्रति हैक्टर 10 से 12 किलो बीज की आवश्यकता होती है। मूली की बुवाई 8-10 दिन के अंतराल पर करते रहना चाहिए।
खाद एवं उर्वरक: खेत तैयार करते समय भूमि में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद 250 क्विंटल प्रति हैक्टर की दर से देवें। बुवाई के एक दिन पहले 20 किलो नत्रजन, 48 किलो फाॅस्फोरस तथा 48 किलो पोटाश प्रति हैक्टर की दर से देवें। जड़ बनते समय खेत में 25 किलो नत्रजन प्रति हैक्टर ऊपर से देवें।
सिंचाई: गर्मी के दिनों में सिंचाई 5 से 6 दिन के अंतराल से करें। बरसात में आवश्यकतानुसार तथा सर्दी में 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। क्यारियों में खरपतवार न पनपने दें। जहाँ मेड़ों पर बुवाई की गई हो वहाँ जड़ बनते समय एक बार मिट्टी चढ़ावें।
कीट प्रबंध:
आरा मक्खी: इस कीट की लटें नव अंकुरित पत्तियों को खाकर पौधों को नष्ट कर देती हैं इससे काफी क्षति होती है। नियंत्रण हेतु मैलाथियाॅन 5 प्रतिशत चूर्ण या कार्बोरिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 20 किलो प्रति हैक्टर की दर से भुरकाव करें।
फली बीटल: यह कीट पत्तियों में छोटे-छोटे छेद करके नुकसान पहुँचाता है। नियंत्रण हेतु आरा मक्खी के लिए बताए गये उपचार करें।
मोयला: इसके नियंत्रण हेतु मैलाथियाॅन 5 प्रतिशत चूर्ण 20 किलो प्रति हैक्टर की दर से भुरकाव करें या मैलाथियाॅन 50 ई.सी. एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
व्याधि प्रबंध:
सफेद रोली: इस रोग के प्रकोप से पत्तियों की निचली सतह पर सफेद धब्बे उभर आते हैं। नियंत्रण हेतु मैंकोजैब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
खुदाई: पूर्ण विकसित जड़ जिसमें जाली न पड़ी हो, खुदाई के लिए उपयुक्त होती है। जड़ें हमेशा नर्म और मुलायम होनी चाहिए। पूसा चेतकी किस्म की जड़ें 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती हैं अतः इनकी खुदाई के समय का ध्यान रखें। देर से खुदाई करने पर जड़ें सख्त व जालीदार हो जाती हैं।