अरबी की खेती
जलवायु एवं भूमि : अरबी के लिए शीतोष्ण एवं सम-शीतोष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती हैI अरबी की खेती उपजाऊ बलुई दोमट भूमि में अच्छी होती है तथा भारी मिट्टी में भी की जा सकती है लेकिन जल निकास का अच्छा प्रबंध होना चाहिएI जिस भूमि का पी.एच. 5.5 से 7 के बीच में होता है वहां पर भी इसकी खेती की जाती हैI
उन्नत किस्मे : सतमुखी, श्रीरश्मी, श्री पल्लवी, सफ़ेद गौरैया, काका काचू, पंचमुखी, एन.डी.सी.1,एन.डी.सी.2, एन.डी.सी.3, सहर्षमुखी, कदमा, मुक्ताकाशी, नदिया लोकल, अहिना लोकल, तेलिया इसके साथ ही सी.9, सी.135, सी.149 , सी.266 इसके साथ ही एस.3, एस.11, आदि।
खेत की तैयारी : खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से बाद में तीन चार जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करके खेत को भुरभुरा करके समतल बना लेना चाहिएI आख़िरी जुताई से पूर्व सड़ी गोबर की खाद 15 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिला देना चाहिएI
बीज की मात्रा : मध्यम आकार के कंद 7.5 से 9.5 क्विंटल कंद प्रति हेक्टेयर लगाये जाते है I
बुवाई का समय और विधि : उत्तर भारत में दो बुवाई की जाती है जायद में मार्च से अप्रैल तक कंदो की बुवाई की जाती हैI खरीफ में तथा पहाड़ो में जून से जुलाई तक कंदो की बुवाई या रोपाई की जाती हैI इसकी बुवाई कतारों में करनी चाहिए लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर एवं 6 से 7 सेंटीमीटर गहराई पर कंदो की बुवाई या रोपाई करनी चाहिएI कंदो को उपचारित करके बोना चाहिए।
खाद एवं उर्वरक : अरबी के लिए 80 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। आधी मात्रा नत्रजन और पोटाश की तथा पूरी मात्रा फास्फोरस की खेत की तैयारी के समय देना चाहिए तथा आधी मात्रा नत्रजन व् पोटाश को दो बार में खड़ी फसल में देना चाहिए I पहली बार 7 से 10 अंकुर निकलने पर तथा दूसरी बार इसके एक माह बाद देना चाहिएI प्रत्येक टॉपड्रेसिंग के बाद मिट्टी चढ़ाना चाहिए।
सिंचाई प्रबंधन : बुवाई के चार-पांच दिन बाद सिंचाई करनी चाहिएI यदि कंदो में स्प्राउट सही आ रहे है तो 8 से 10 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए I इसके पश्चात मौसम के अनुसार सिंचाई करें।
निराई-गुड़ाई तथा खरपतवार नियंत्रण : बुवाई के एक दिन बाद ही 3.3 लीटर पेंडामेथलिन का स्प्रे 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से कर देना चाहिएI आवश्यकतानुसार एक या दो निराई-गुड़ाई करते हुए पौधों पर मिट्टी चढ़ानी चाहिए इससे कंद अच्छे बनते है जिससे पैदावार अच्छी होती हैI
रोग प्रबंधन : अरबी में लीफ ब्लाइट और पीथियम गलन रोग लगते हैI लीफ ब्लाइट के नियंत्रण हेतु डाइथेन एम 45 का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए इसके साथ ही रोगरोधी प्रजातियों की बुवाई करनी चाहिएI पीथियम के नियंत्रण हेतु किसी फफूंदी नाशक से भूमि शोधन करना चाहिए तथा रोगरोधी प्रजातियों की बुवाई करनी चाहिएI
कीट प्रबंधन : आवश्यकता अनुसार लीफ माईनर और पत्ती खानेवाले कीड़ो का नियंत्रण करें।
खुदाई : जब फसल की पत्तियां पीली होकर जमीन पर गिरने लगे उस समय खुदाई करनी चाहिए लगभग 120 से 150 दिन पर।
उपज : किस्म अनुसार सामान्य रूप से 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती हैI