हल्दी की खेती
द्वारा, दिनांक 26-08-2019 11:33 AM को
उन्नत किस्मे : स्वर्ण, सुगंधम, सुगुना, प्रभा, प्रतिभा आदि
खेत की तैयारी : गहरी जुताई कर कल्टीवेटर चलाकर खेत की जुताई करें तथा पाटा चलाकर खेत को समतल करें और 50 सेंटीमीटर की दूरी पर डोलिया बनाये l
बीज की मात्रा, बीज उपचार एवं बीज की बुवाई : हल्दी की बुवाई के लिए कंद लगायें जाते है इसके लिए प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल कंदों की आवश्यकता होती है l कंदों को बुवाई से पूर्व 0.2 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम के घोल में 5 मिनट तक डुबोकर उपचारित करना चाहिए l उपचारित किए गए कंदों को तैयार की गयी डोलियों पर 15 सेंटीमीटर की दुरी पर बोना चाहिए l बोनी का सर्वोतम समय जून माह है l
खाद एवं उर्वरक : 200 क्विंटल गोबर की खाद, इसके साथ ही 60 किलोग्राम नत्रजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 120 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में देते हैI फास्फोरस की पूरी मात्रा तथा पोटाश की आधी मात्रा बेसल ड्रेसिंग में खेत की तैयारी के समय देते है तथा नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई के 45 दिन बाद तथा आधी मात्रा नत्रजन पोटाश की आधी मात्र के साथ बुवाई के तीन माह बाद देना चाहिए I
सिंचाई : पहली सिंचाई बोनी के तत्काल बाद करें l उसके पश्चात् आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें l
निराई गुडाई : बोनी के दो -तीन सप्ताह बाद गुडाई करके मिटटी चढ़ाए l फसल काल में आवश्यकता अनुसार खरपतवार निकलते रहे l
कीट नियंत्रण : थ्रिप्स एक महत्वपूर्ण कीट है नियंत्रण के लिए डाईमिथोएट 30 ई. सी. एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करे l
रोग नियंत्रण : पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए मेन्कोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकार छिडकाव करें l
खुदाई एवं उपज : हल्दी की फसल 8 से 9 माह में पक जाती है पकाते समय पत्ते सुख जाते है ये खुदाई का उपयुक्त समय है l इसकी उपज 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है l
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