जिले में नवाचारी कृषको ने पैदा कि नई फसल केमोमाईल
द्वारा, दिनांक 24-09-2019 05:42 PM को
नीमच जिले के कृषक और आत्मा नीमच सदैव अपने नवाचारी प्रयोग के लिए जानी जाती हैं l नीमच जिले में अत्यधिक कृषि विविधता होने के साथ ही जिला अपनी औषधि फसलों की मंडी के लिए यह देश भर में प्रसिद्ध है l इन्ही तथ्यो को ध्यान में रखते हुए आत्मा नीमच द्वारा प्रतिवर्ष कुछ नयी फसले जिले में लायी जाती है l वर्ष 2018 मैं आत्मा नीमच द्वारा एक नई फसल केमोमाईल जिले में प्रथम बार लगाई गई l केमोमाईल एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है जो खपत के मामले में विश्व में पांचवा स्थान रखती हैं l इस फसल के सूखे हुए फूल औषधि चाय बनाने में उपयोग किए जाते हैं तथा तेल निकालने में भी इनका उपयोग किया जाता है l जिले के तीन नवाचारी कृषको श्री जगदीश कार्पेंटर, श्री प्रभु लाल धनगर एवं श्री कमला शंकर विश्वकर्मा द्वारा उपरोक्त फसल 0.03 हेक्टर क्षेत्र में लगाई गई l श्री जगदीश कारपेंटर को 100 ग्राम बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाकर नर्सरी तैयार कराई गई तथा शेष दोनों कृषकों को पौधे उपलब्ध कराए गए जो 1 माह के थे l नवंबर माह में पौधों की रोपाई मुख्य खेत में की गई जिसमें जनवरी अंत मैं फूल आने आरंभ हो गए l जिसकी तुड़ाई के लिए मानव श्रम का उपयोग किया गया, श्री जगदीश कारपेंटर द्वारा 80 किलोग्राम, श्री प्रभुलाल धनगर द्वारा 63 किलोग्राम तथा कमला शंकर द्वारा 70 किलोग्राम उत्पादन 0.09 हेक्टर में किया गया जो औसत रूप से 400 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा गया l इस प्रकार 213 किलोग्राम उत्पादन 85200 रुपये में बेचा गया जिसमें मजदूरी की लागत 40000 रुपये तथा अन्य व्यय 5000 रुपये इस प्रकार 0.09 हेक्टर में 40200 रुपये की शुद्ध आय प्राप्त हुई l इस प्रकार इस फसल में सबसे ज्यादा लागत का कार्य फूलो की तुडाई का है अन्य सभी व्यय नगण्य है l फसल में कीट एवं बीमारी का प्रकोप भी अधिक नहीं होता है तथा जल की मांग भी सामान्य फसलों की तरह है 4 – 5 तुडाई फसल काल में की जाती है l इस प्रकार यह फसल छोटे किसानो के लिए जहाँ मानव श्रम आसानी से उपलब्ध है आय का एक अच्छा साधन है l इसके साथ ही यह फसल ग्रामीण मजदूरों को भी रोजगार उपलब्ध कराने में सहायक हुई है, पूरी फसल अवधि के दौरान तीनों कृषको द्वारा 200 मानव दिवस के रोजगार का सृजन किया गया! इस प्रकार यह फसल छोटी जोत वाले कृषकों के लिए लाभकारी हो सकती हैं l उपरोक्त अध्ययन को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ष एक किलोग्राम बीज की नर्सरी तैयार करवाकर कृषकों को 0.02 हेक्टर क्षेत्र में अतिरिक्त आय के लिए सीधे पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे l
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