Visitor Count: 112468 Get it on Google Play

फालसा की उन्नत बागवानी

द्वारा, दिनांक 18-10-2019 03:31 PM को 205

फालसा की उन्नत बागवानी

फालसा के फल छोटे अम्लीय स्वाद के होते हैं। पकने पर फलों का रंग गहरा लाल और बैंगनी होता है। फलों में विटामिन ए और सी तथा खनिज लवण (फास्फोरस एवं लोहा) प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। राजस्थान में इसकी खेती जयपुर, उदयपुर, अजमेर, जोधपुर आदि जिलों में सफलतापूर्वक की जा सकती है।

जलवायु एवं भूमि : गर्म तथा सूखी जलवायु वाले क्षेत्रों में जहाँ अधिकांश फलों के वृक्ष उगाने में कठिनाई होती है, यह भली-भाँति उगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त समुद्रतलीय नम जलवायु वाले प्रदेशों में भी इसका उत्पादन सरलतापूर्वक हो सकता है और मैदानी भागों में तो इसके उगाने में कोई कठिनाई ही नहीं होती है। इसके लिए 1.5 मीटर गहरी उपजाऊ दोमट मिट्टी विशेष रूप से अच्छी मानी जाती है परन्तु साधारणतया यह लगभग सभी प्रकार की मिट्टीयों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इसी कारण लोग इसे पड़त भूमि, रास्तों के सहारे अथवा अन्तराशस्य के रूप में ही उगाते हैं।

खाद एवं उर्वरक : फालसा लगाते समय 8-10 किग्रा. गोबर की सड़ी खाद प्रति पौधे के हिसाब से प्रति गड्डे में देनी चाहिए और इतनी ही मात्रा में फिर फरवरी में देनी चाहिए।   फरवरी के महीने में काट-छांट के बाद प्रति पौधा 10-15 किग्रा. सड़ी हुई गोबर की खाद तथा 40-50 ग्राम नत्रजन, 30 ग्राम फॉस्फोरस तथा 30 ग्राम पोटाश उर्वरक देना चाहिए।

प्रवर्धन : फालसे के पौध केवल बीज से ही तैयार किये जाते हैं। इसके बीज बोने का समय वही होता है जो फालसा के फल पकने का समय होता है क्योंकि इस बीज को फल से निकालकर रख देने से उसकी जमाव शक्ति क्षीण हो जाती है। अतः पके बड़े फलों से मई में बीज निकालकर तुरन्त ही बो देना अधिक हितकर है। इस विधि से पौधे अधिक स्वस्थ रहते हैं।

उन्नत किस्में : संकरी और शरबती छोटी किस्में अब तक प्रचलित हैं। संकरी जाति के पौधे बड़े होते हैं किन्तु फल छोटे और खट्टे होते हैं। शरबती जाति के फालसे के पौधे फैलावदार होते हैं। फल बड़े़े, मीठे व रसदार होते हैं जिन्हें स्क्वैश या शरबत बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

रोपण : फालसे के पौधे 2-2.5 मीटर की दूरी पर लगाने चाहिए। फरवरी में पौधों का लगाना सर्वोत्तम रहता है क्योंकि इस समय पौधे सुप्तावस्था में रहते हैं तथा पौधों को बिना पिण्डी लगा सकते हैं। इससे अधिक सफलता मिलती है। जुलाई-अगस्त में भी पौधों को लगाया जा सकता है।

सिंचाई : सहिष्णु स्वभाव का होने के कारण फालसा यद्यपि अधिक सिंचाई नहीं चाहता फिर भी जनवरी से मई तक यदि माह में दो बार इसे पानी मिल जाए तो निश्चय ही फलन में वृद्धि हो जाती है।  निराई-गुड़ाई हर सिंचाई के बाद कर देनी चाहिए।

कटाई-छंटाई : फालसे के पौधे जाड़े की ऋतु में यद्यपि पूरी तरह तो अपनी पत्तियाँ नहीं गिराते फिर भी अधिकाश पत्ते झड़ जाते हैं और यही समय इनकी प्रूनिंग करने के लिए उपयुक्त है। यह क्रिया आधे दिसम्बर से जनवरी माह तक की जा सकती है। प्रति तीन-चार वर्ष के बाद पेड़ की कड़ी छंटाई कर देनी चाहिए। इससे पौधों में संचित खाद्य का फलन में उपयोग हो जाता है।

फलन तथा फलों को तोड़ना : पौधे स्थायी जगहों पर स्थानान्तरित किए जाने के दूसरे वर्ष ही फलने लगते हैं। इसके पौधे अप्रैल-मई में फलते हैं और जून तक पके हुए फल उपलब्ध होते हैं।  फल धीरे-धीरे पकते रहते हैं तथा सब एक साथ नहीं पकते, इससे थोड़े-थोड़े पके फल प्रतिदिन चुनने पड़ते हैं।

कीट एवं ब्याधि प्रबंध :

छाल खाने वाला कीड़ा : यह कीड़ा फालसे के लिए तो विशेष हानिकारक नहीं होता किन्तु इसके पौधों पर पलकर अन्य पौधों को हानि पहुँचाता है।

पत्ती धब्बा रोग : इससे फालसे की पत्तियों पर धब्बे पड़ जाते हैं। रोगग्रस्त पेड़ों के पत्ते तोड़कर जला देने चाहिए तथा ब्लाइटोम्स 50 के 0.2 प्रतिशत घोल के छिड़काव से रोग नियंत्रित किया जा सकता है।

भण्डारण, विपणन तथा उपयोग : फालसा के फलों में भण्डारण क्षमता कम होती है। फल तोड़ने के 24 घण्टे के अन्दर-अन्दर इसका उपयोग कर लेना चाहिए। फल जब गहरे लाल या बैंगनी रंग के हो जाते हैं तब इनके तोड़ने की अवस्था होती है। इसी अवस्था में फलों में मिठास अधिक होती है।

      फालसे के पके फल खाये जाते हैं। इनका प्रभाव शीतल होता है। फालसा का शर्बत बनाकर पिया जाता है जो गर्मी के मौसम में एक अनुकूल पेय है। यह स्फूर्तिदायक, जलन, प्यास को शान्त करने वाला पित्त विकारनाशक है। इसका रस निकालकर संरक्षित किया जा सकता है। जो अन्य समयों में भी उपयोग किया जा सकता है।

      गले के रोगों में भी फालसा उपयोगी समझा जाता है। साथ ही रक्त विकार, ज्वर, अपच में भी लाभकारी है। इसकी जड़ की छाल गठिया रोगों में और पत्तियाँ, फोड़े, फुँसियों पर लगाने में औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है।

उपज :       पाँच साल के स्वस्थ पौधे से लगभग 4-5 कि.ग्रा. फल प्रति पौधे से प्राप्त हो जाते हैं।     

जैविक खेती

हरी खाद की उपयोगिता

हरी खाद की उपयोगिता

और अधिक पढ़ें ..........................

तिलहन फसलें

सरसों की खेती

सरसों की खेती

और अधिक पढ़ें.......................

अलसी की खेती

अलसी की खेती

और अधिक पढ़ें.......................

सोयाबीन की उन्नत खेती

सोयाबीन की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ............

नकदी फसलें

हल्दी की खेती 

हल्दी की खेती 

और अधिक पढ़ें .............................

कपास की उन्नत खेती

कपास की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ...............

आलू की उन्नत खेती

आलू की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें .............................

दलहन फसलें

उड़द की उन्नत खेती

उड़द की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें..................

चने की खेती

चने की खेती

और अधिक पढ़ें.......................

मूंग की उन्नत खेती

मूंग की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें................

मोठ की उन्नत खेती

मोठ की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें .............

चारा फसलें

रिजका की उन्नत खेती

रिजका की उन्नत खेती

...............और अधिक पढ़ें

बरसीम की उन्नत खेती

बरसीम की उन्नत खेती

...................और अधिक पढ़ें

चारा चुकंदर (फोडर बीट)

चारा चुकंदर (फोडर बीट)

और अधिक पढ़ें .......................

सफलता की कहानियां

मिर्च की खेती ने बनाया लखपति

मिर्च की खेती ने बनाया लखपति

मिर्च की खेती ने बनाया लखपति

महिला कृषक मीनाक्षी धाकड़ बनी अन्य के लिए प्रेरणा

महिला कृषक मीनाक्षी धाकड़ बनी अन्य के लिए प्रेरणा

महिला कृषक मीनाक्षी धाकड़ बनी अन्य के लिए प्रेरणा

धनिये कि खेती कर कमाया अधिक लाभ

धनिये कि खेती कर कमाया अधिक लाभ

और अधिक पढ़े ........................

औषधीय फसलें

ईसबगोल की खेती

ईसबगोल की खेती

और अधिक पढ़ें .....................

अश्वगंधा लगाएं : अधिक आमदनी पाएं

अश्वगंधा लगाएं : अधिक आमदनी पाएं

और अधिक जाने................................

अफीम की उन्नत खेती

अफीम की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ...................

पुष्प फसलें

गेंदे की उन्नत खेती

गेंदे की उन्नत खेती

गेंदे की उन्नत खेती के लिए अधिक जाने

रजनीगंधा की आधुनिक खेती

रजनीगंधा की आधुनिक खेती

और अधिक पढ़ें ....................................

गेलार्डिया की उन्नत खेती

गेलार्डिया की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ....................

सब्जी फसलें

जायद में खीरे की खेती

जायद में खीरे की खेती

और अधिक पढ़ें .............................

टमाटर की खेती

टमाटर की खेती

और अधिक पढ़ें .............................

भिन्डी की उन्नत खेती 

भिन्डी की उन्नत खेती 

और अधिक पढ़ें .............................

गाजर की उन्नत खेती

गाजर की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ........................

प्याज की उन्नत खेती

प्याज की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ........................

खरीफ प्याज की उन्नत खेती

खरीफ प्याज की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें .............................

शलजम की खेती

शलजम की खेती

और अधिक पढ़ें..........................

कद्दू की खेती 

कद्दू की खेती 

और अधिक पढ़ें .............................

अरबी की खेती

अरबी की खेती

और अधिक पढ़ें .............................

मिर्च की उन्नत खेती

मिर्च की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें .............................

परवल की खेती 

परवल की खेती 

और अधिक पढ़े .................................

फूल गोभी की खेती

फूल गोभी की खेती

और अधिक पढ़ें .............................

पत्तागोभी की उन्नत खेती

पत्तागोभी की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें .............................

शकरकंद की खेती

शकरकंद की खेती

और अधिक पढ़ें .............................

हल्दी की खेती 

हल्दी की खेती 

और अधिक पढ़ें .............................

मटर की उन्नत खेती

मटर की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ........................

मूली की उन्नत खेती

मूली की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ........................

अनाज फसले

गेहूँ की खेती

गेहूँ की खेती

और अधिक पढ़ें.......................

बाजरा की खेती

बाजरा की खेती

और अधिक पढ़ें..........................

ज्वार की खेती

ज्वार की खेती

और अधिक पढ़ें.......................

अन्य लेख

किसानो के लिए सामाजिक सुरक्षा चक्र

किसानो के लिए सामाजिक सुरक्षा चक्र

"प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना”

वर्ष भर का सब्जी केलेंडर 

वर्ष भर का सब्जी केलेंडर 

और अधिक पढ़ें........................

फलदार फसलें

अंजीर की उन्नत बागवानी

अंजीर की उन्नत बागवानी

और अधिक पढ़ें..................

आँवला की उन्नत बागवानी

आँवला की उन्नत बागवानी

और अधिक पढ़ें....................

आम की उन्नत बागवानी

आम की उन्नत बागवानी

और अधिक जानिए..............

अनार की खेती

अनार की खेती

और अधिक पढ़ें.......................

नींबू प्रजाति के फलों की खेती

नींबू प्रजाति के फलों की खेती

और अधिक पढ़ें .....................

बेर की उन्नत बागवानी

बेर की उन्नत बागवानी

और अधिक पढ़ें .....................

पपीते की उन्नत बागवानी

पपीते की उन्नत बागवानी

और अधिक पढ़ें .............................

अमरुद की खेती

अमरुद की खेती

और अधिक पढ़ें..........................

बेल की उन्नत बागवानी

बेल की उन्नत बागवानी

और अधिक पढ़ें......................

मसाला फसलें

मेथी की उन्नत खेती 

मेथी की उन्नत खेती 

और अधिक पढ़ें..........................

धनिये की खेती

धनिये की खेती

और अधिक पढ़ें ........................

लहसुन की उन्नत खेती

लहसुन की उन्नत खेती

और अधिक पढ़ें ........................

हल्दी की खेती 

हल्दी की खेती 

और अधिक पढ़ें .............................

जीरे की खेती

जीरे की खेती

और अधिक पढ़ें..........................

सोंफ की खेती

सोंफ की खेती

और अधिक पढ़ें..........................

कलोंजी की सफल खेती

कलोंजी की सफल खेती

और अधिक पढ़ें..........................