कैमोमाइल छोटे किसानो के लिए एक लाभकारी फसल
द्वारा, दिनांक 06-06-2020 12:49 PM को
कैमोमाइल छोटे किसानो के लिए एक लाभकारी फसल
केमोमाईल एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है जो खपत के मामले में विश्व में पांचवा स्थान रखती हैं l इस फसल के सूखे हुए फूल औषधि चाय बनाने में उपयोग किए जाते हैं तथा तेल निकालने में भी इनका उपयोग किया जाता है l वर्ष 2018 - 19 में नीमच जिले में प्रायोगिक तौर इस नयी फसल का परिक्षण आरम्भ हुआ था जो की एक सुगन्धित फसल थी। फसल को जिले में पहली बार लगाया गया था कहाँ बिकेगा किस भाव बिकेगा कुछ विशेष पता नहीं था। 0.03 हेक्टेयर जीतनी छोटी जगह में इसे लगाया गया था। अक्टूबर माह में नर्सरी लगाई गयी थी और एक महीने के पौधों को खेत में लगाया गया। समय - समय पर सिंचाई की गयी 40 दिन बाद फसल में फूल आना आरम्भ हुए जिनकी नियमित तुड़ाई करवाई गयी। लगभग 5 तुड़ाई में 75 किलोग्राम सूखे फूल प्राप्त हुए। चूँकि इस फसल में किसी कीट एवं बिमारी का प्रकोप नहीं देखा गया तो कोई भी अतिरिक्त खर्च नहीं हुआ।
उत्पादन तो करवा लिया लेकिन अब समस्या आयी बेचीं कहाँ जाए तो इसके लिए थोड़े से प्रयास करने पड़े और जैसा की सर्व विदित है नीमच जिले में अत्यधिक कृषि विविधता होने के साथ ही जिला अपनी औषधि फसलों की मंडी के लिए यह देश भर में प्रसिद्ध है तो इसके विक्रय के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ा और ये नीमच में ही बेच दी गयी। परिणाम आश्चर्य जनक थे, मात्र इतनी सी जगह में कृषक को 27000 रुपये का उत्पादन प्राप्त हुआ जो इतने ही क्षेत्रफल में बोई जाने वाली किसी अन्य फसल से बहुत अधिक था। लगभग 40 प्रतिशत लागत मजदूरी में आती है 17000 रुपये की शुद्ध बचत किसान को हुई जो प्रति हेक्टेयर 510000 रुपये होती है।
पहले वर्ष का अनुभव लेते हुए वर्ष 2019 - 20 मैं इस बार पुनः क्षेत्रफल बढ़ाते हुए कुछ और किसानो को तैयार किया गया और जिले के 7 - 8 किसानो द्वारा थोड़ा थोड़ा लगाया गया। भाटखेड़ी के कृषक श्याम कारपेंटर पुत्र श्री जगदीश कारपेंटर ने 0.1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में व्यवस्थित रूप से इस फसल को लगाया। अक्टूबर माह में नर्सरी तैयार कराई गई तथा एक माह के पश्चात् नवंबर माह में पौधों की रोपाई मुख्य खेत में की गई जिसमें जनवरी अंत मैं फूल आने आरंभ हो गए l जिसकी तुड़ाई के लिए मानव श्रम का उपयोग किया गया, श्री श्याम कारपेंटर द्वारा 171 किलोग्राम सूखे फूलों का उत्पादन हुए जिसे 375 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया जिससे उन्हें 64000 रुपये की आय प्राप्त हुई और मजदूरी की लागत 20000 रुपये रही और 44000 का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ।
इस प्रकार इस फसल में सबसे ज्यादा लागत का कार्य फूलो की तुडाई का है अन्य सभी व्यय नगण्य है l फसल में कीट एवं बीमारी का प्रकोप भी अधिक नहीं होता है तथा जल की मांग भी सामान्य फसलों की तरह है 4 – 5 तुडाई फसल काल में की जाती है l इस प्रकार यह फसल छोटे किसानो के लिए जहाँ मानव श्रम आसानी से उपलब्ध है आय का एक अच्छा साधन है l इसके साथ ही यह फसल ग्रामीण मजदूरों को भी रोजगार उपलब्ध कराने में सहायक हुई है, पूरी फसल अवधि के दौरान 80 - 100 मानव दिवस का कार्य उनके द्वारा मजदूरों को उपलब्ध करवाया गया। इस प्रकार यह फसल किसान के लिए तो लाभकारी है ही इस फसल ने ग्रामीण अंचल में मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवाएं है।
डॉ. यतिन कुमार मेहता
उप परियोजना संचालक आत्मा
नीमच
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