खेत में रहे मकोड़े और किसान खाए पकोड़े
किसान भाइयों वर्तमान समय में फसल की सुरक्षा करने में अधिक खर्च आने लगा है साथ में पर्यावरण के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। इसलिए खेती में फसल सुरक्षा के खर्च को कम करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए आवश्यक है की हम फसल की सुरक्षा करते समय निम्न बातो का ध्यान रखे।
- खेत में मित्र कीटो को बढ़ावा देवे :वर्षा काल आरम्भ होने के 45 दिनों तक मित्र कीटो की आबादी शत्रु कीटो की तुलना में तेजी से बढती है। इस समय ज्यादा ताकतवर दवाइया छिड़कने से खेत में मित्र कीटो की संख्या भी कम हो जाती है। ऐसे समय में नीम आधारित या जैविक कीटनाशको का प्रयोग करने से मित्र कीटो की संख्या खेत में बानी रहती है।
- खेत की मेड को साफ़ और सुरक्षित रखे : खेत के चारो और की मेड को खरपतवारो से मुक्त रखे। मेड पर एक दो बार नीम तेल का छिड़काव लाभकारी रहता है। मेड पर पलाश या बेर के पौधे हो तो हटा देना चाहिए क्यों की इनपर कई प्रकार के कीट लगते है।
- ट्रैप फसल लगाये : खेत में मुख्य फसल के चारो और ऐसी फसल की 3 - 4 कतार लगाने से कीड़े पहले इस फसल में आएंगे और मुख्य फसल बची रहेगी। जैसे कपास में चारो और चंवला,अरहर, मक्का लगाना लाभकारी पाया गया है।
- उचित पौध संख्या : ज्यादा नजदीक फसल होने से उनमे कीटो और बिमारियों का प्रकोप अधिक होता है। घने पौधे होने से कीटो को छुपने और प्रजनन के लिए अनुकूल स्थिति मिलती है। ज्यादा घनी फसल में दवाई छिड़काव में भी परेशानी होती है तथा सभी तरफ दवाई नहीं जाने से उसका असर भी कम होता है। ज्यादा घनी फसल होने से कीटो के प्रकोप का पता भी बहुत बाद में लगता है।
- पहले हलकी दवा तथा बाद में तेज दवा का प्रयोग करे : कीटनाशको का प्रयोग इस प्रकार करना चाहिए की पहले हलकी दवाइयों या जैविक कीटनाशको का प्रयोग करे तथा बाद में आवश्यक होने पर ही तेज दवाइयों का इस्तेमाल करे। पहले तेज दवाओं का इस्तेमाल करने पर बाद में उनका असर कम हो जाता है।
- छिड़काव का तरीका : कुछ कीड़े फसल में पत्तियों पर होते है और कुछ निचे की और इसलिए पत्तियों के दोनों और छिड़काव ज्यादा लाभकारी है। वर्षाकाल में पत्तियों के निचे छिड़काव अधिक लाभकारी है क्यों की दवाई पानी के साथ घुलकर नहीं बहती है ।
- नीम तेल का उपयोग : नीम तेल मित्र कीटो के लिए हानिकारक नहीं हे, पर्यावरण मित्र है तथा फसल से कीटो को दूर रखता है अतः नीम तेल का उपयोग कीट नियंत्रण में करना चाहिए।
- दवाई का सही घोल तैयार करना : अधिकांश किसान कम पानी में अधिक दवाई मिलकर छिड़काव करते है जो की बिलकुल गलत है। पानी का प्रयोग कम करने से पुरे पौधे पर दवाई एक सार नहीं पड़ती है और पूरा नियंत्रण नहीं होता है। कभी-कभी ज्यादा दवा के प्रभाव से पौधों को भी नुकसान हो जाता है। इसलिए सदेव पानी की सही मात्रा में बताई गयी दवा की सही मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
- दवाइयों को मिलाकर उनकी खिचड़ी नहीं बनाये : छिड़काव की संख्या काम करने के लिए किसान भाई स्व विवेक या दुकानदार के कहने से बहुत सी दवाइयों की मिलकर छिड़काव करते है। इस से कभी कभी नुकसान भी हो जाता है। इसलिए मिलाने योग्य दवाओं को ही आपस में मिलकर प्रयोग करे अनावश्यक प्रयोग न करे
- खेत में चींटिया और चींटे : किसान के मित्र कीटो में चींटिया और चींटे भी है। चींटे खेत में लगाने वाले माहू, मिलीबग को खाते है। चींटों को खेत में बुलाने के लिए उपयोग की हुई चाय की पत्ती को खेत में बिखेरा जा सकता है। इस प्रकार खेत में चींटों की संख्या बढ़ने से अन्य कीटो की संख्या कम होगी। चींटों की इसी दोस्ती के कारण कहा गया है "खेत में रहे मकोड़े और किसान खाए पकोड़े"
- पौधों को टॉनिक दो : अनेको बार पौधे में कीटो के प्रकोप से उनकी वृद्धि रूक जाती है या कम हो जाती है। ऐसे समय पर यूरिया या NPK 19 : 19 : 19 का 5 ग्राम प्रतिलीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
- लाइट ट्रैप और फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग : लाइट ट्रैप और फेरोमोन ट्रैप कीट नियंत्रण में लाभकारी है।
इस प्रकार किसान भाई इन साधारण बातो का ध्यान रखकर फसल संरक्षण की दवाइयों पर होने वाला अपना खर्च कम कर सकता है।