गेलार्डिया की उन्नत खेती
मौसमी पुष्पों में गेलार्डिया एक महत्वपूर्ण पुष्प है। यह गर्मी, बरसात व सर्दी तीनों ही मौसम में आसानी से उगाया जा सकता है। फरवरी-मार्च में बुवाई करने पर फूल गर्मियों में, मई-जून में बुवाई करने पर बरसात में और सितम्बर-अक्टूबर में बुवाई करने पर सर्दियों में फूल आते हैं।
जलवायु एवं भूमि: गेलार्डिया की अच्छी उपज के लिए खुली धूप वाली जगह और जैविक खाद युक्त भूमि उत्तम रहती है।
जातियाँ एवं किस्में: इसकी दो मुख्य प्रजातियाँ हैं-
गेलार्डिया पिक्टा: इसमें बड़ें आकार के पुष्प आते हैं।
गेलार्डिया लोरेन्जियाना: इसमें फूल पंखुड़ियों वाले, विखंडित कोरों व एक ही पुष्प में कई आकर्षक रंगो मे डबल पुष्प आते हैं। लोरेन्जियाना की प्रमुख किस्में सनशाइन, स्ट्रान और गेटी डबल मिक्सड हैं। एक संकर किस्म टेट्रा फिस्टा हाल ही में विकसित की गई है। इसमें फूल डबल आकार में बड़े और पंखुड़ियाँ चमकीली लाल रंग की पीले किनारों वाली होती हैं। इसके अतिरिक्त इसमें बड़े सिंगल फूलों वाली ग्रेन्डीफ्लोरा नामक कुछ बहुवर्षीय किस्में भी हैं।
बीजों की बुवाई एवं मात्रा: गेलार्डिया के पौधे देर से फूल देते हैं और बुवाई के साढ़े तीन से चार माह पश्चात् फूल आने लगते हैं। आवश्यकतानुसार बीज नर्सरी की क्यारियों में, लकड़ी के खोखों में, गमलों में, मिट्टी के तसलों में एवं प्लास्टिक ट्रे में बोये जा सकते हैं। बीज बोने से पूर्व किसी फफूंदीनाशी दवा जैसे थाइरम या बाविस्टीन आदि से उपचारित कर बोयें। बुवाई के 4 से 6 सप्ताह बाद पौध खेत में रोपाई के लायक हो जाती है। एक हैक्टर की रोपाई के लिए 500 से 600 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
खेत की तैयारी: खेत की 3 से 4 जुताई करें और पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें। अंतिम जुताई के समय 10 से 13 टन गोबर की खाद प्रति हैक्टर की दर से भूमि में डालनी चाहिए। सिंचाई के लिए सुविधानुसार खेत में क्यारियाँ बना लेनी चाहिए।
पौध की रोपाई: गेलार्डिया के पौधों की रोपाई समतल क्यारियों में की जाती है। पौध की रोपाई 60 से.मी. लाइन से लाइन एवं 45 से.मी. पौधे से पौधे की दूरी रखकर करनी चाहिए।
सिंचाई एवं उर्वरक: गेलार्डिया में सही समय पर सिंचाई करने पर पुष्प खिलते रहते हैं। अतः भरपूर पुष्प लेने के लिए उर्वरकों का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है। 200 किलो यूरिया, 400 किलो सुपर फास्फेट, 100 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश उर्वरक प्रति हैक्टर की दर से डालें। गोबर की खाद, सुपर फास्फेट व म्यूरेट आॅफ पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा व यूरिया की आधी मात्रा रोपाई के पूर्व डालें। यूरिया की शेष आधी मात्रा 45 दिन पश्चात् खड़ी फसल में दें। यूरिया डालने के बाद सिंचाई अवश्य करें।
निराई-गुड़ाई: इस फसल में दो तीन बार गुड़ाई कर खरपतवारों को नष्ट करें। गुड़ाई करते समय पौधों के चारों ओर मिट्टी चढ़ावें। समय-समय पर निराई-गुड़ाई कर खेत को खरपतवारों से मुक्त रखें।
व्याधि प्रबंध:
जड़ गलन: इस रोग से पौधों की जड़ें सड़ जाती हैं। नियंत्रण हेतु केप्टान 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से भूमि को उपचारित करें।
फूलों की तुड़ाई एवं उपज: पौधों की रोपाई से 3 से 4 महीने बाद पुष्प खिलने शुरू होते हैं। पुष्पों की तुड़ाई समय पर करते रहना चाहिए। हर चैथे रोज पुष्पों की तुड़ाई करें जिससे आगे पुष्प निरंतर बनते रहें। पुष्प चुनते समय ध्यान रहे कि सभी पूर्ण विकसित पुष्प तथा डोडे पौधों पर छूटने न पायें। प्रति हैक्टर 100 से 150 क्विंटल पुष्पोत्पादन प्राप्त होगा।